आपकी जागरूकता ही पुलिस की असंवेदनशीलता का करारा जवाब है
गुना में सरकार/पुलिस का गुनाह माफी लायक नहीं है। जिस तरह से दलित परिवार को पीटा गया है, उसने पुलिस की उस असंवेदनशीलता को खुलकर उजागर कर दिया है, जिसका दलित-आदिवासी समाज सालों से होता आ रहा है। पुलिस का डंडा सबसे ज्यादा ऐसे ही दबे-कुचले, निहत्थे लोगों पर चलता है। देश-प्रदेश का पूरा दलित-आदिवासी समाज, सभी सामाजिक संगठन आगे आएं और इस घटना पर सरकार से सीधा जवाब मांगे। ऐसी प्रभावी कार्रवाई के लिए दवाब बनाएं कि भविष्य में किसी भी प्रताडऩा, हिंसा और अत्याचार से पीडि़त दलित-आदिवासी समुदाय के साथ किसी भी सदस्य को आंख दिखाने की हिम्मत किसी पुलिस कर्मी की न हो।
आपकी जागरूकता ही पुलिस की असंवेदनशीलता का करारा जवाब है।
पुलिस ने जो बर्बरता बरती है, उसके खिलाफ सडक़ों पर उतरा जाए। पूरे प्रदेश में शांतिपूर्वक प्रदर्शन करें और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपे।
ज्ञापन में निम्नलिखित मांग की जाएं।
- पुलिस विभाग के मुखिया होने के नाते प्रदेश के गृहमंत्री तत्काल इस्तीफा दें।
- प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को तत्काल पद से हटाया जाए।
- किसान और उसके परिजनों को पीटने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
- सामाजिक कार्यकर्ताओं की पांच या दस सदस्यीय कमेटी बनाई जाए, जो इस घटना के वास्तविक तथ्यों का संकलन करे।