बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के निवास पर हुआ हमला निन्दनीय है।
मायावतियों और पासवानों की समझ में नहीं आएगा मगर उन हिन्दुस्तानियों को समझना होगा जो भारत के संविधान, लोकतंत्र, समानता और नागरिक अधिकारों में विश्वास करते हैं कि; यह गुण्डई मनु की स्थापना के लिए भड़भड़ा रहे कार्पोरेटी हिन्दुत्व की एक और कायराना हरकत है।
यह उन हमलो की श्रंखला में एक और हमला है जो 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ध्वंस से शुरू हुए थे. और सीएए-एनआरसी से होते हुए बाबा साहब के पौत्र दामाद प्रो आनंद तेलतुम्बडे को जेल भेजने, श्रम कानूनों की समाप्ति और किसानों की लूट के लिए अध्यादेश और क़ानून बनाने से होते हुए अब पूरे संविधान को हड़प करने आ पहुंचे हैं।
दोविकल्पहैं आपके पास
एक आज ही उन साझी लड़ाइयों के साथ जुड़ें जो इन कार्पोरेटी हिन्दुत्वी भेड़ियों के खिलाफ मशाल उठा रही है।
या दो अपनी खुद की बारी आने का इंतज़ार करें - भेड़ियों के घर की दहलीज लांघकर बैडरूम और रसोई में पहुँचने की प्रतीक्षा करें।
बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के निवास पर हुआ हमला निन्दनीय है।